रंग बदलते लोग यहाँ पर, नैन मिलाना ना सखी।। रंग बदलते लोग यहाँ पर, नैन मिलाना ना सखी।।
जब तक सांस चले इस तन में, कान्हा का ही नाम ध्याऊं। ऐ सखी जब तक सांस चले इस तन में, कान्हा का ही नाम ध्याऊं। ऐ सखी
बेहतर लगता है , तेरी रचनायें पढ़ना । बेहतर लगता है , तेरी रचनायें पढ़ना ।
हम देखते ही रह गए, और रंग दिया हरा हरा, हम देखते ही रह गए, और रंग दिया हरा हरा,
कुछ नहीं कह पाऊंगी,कैसे उन्हें मैं रंग लगाऊंगी सखी होली खेलन अबकेे मैं नहीं जाऊंगी। कुछ नहीं कह पाऊंगी,कैसे उन्हें मैं रंग लगाऊंगी सखी होली खेलन अबकेे मैं नहीं ज...
गर न होते पेड़ जमीं पर कैसी होती धरती सारी प्रकृति का वजूद न होता हरियाली गुम हो जात गर न होते पेड़ जमीं पर कैसी होती धरती सारी प्रकृति का वजूद न होता हरिया...